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जेल में कैदियों को बिना भेदभाव दी जाती है पैरोल और फरलो

नई दिल्ली – दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने न्यायमूर्ति अमित शर्मा को सोमवार को हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई। इस दौरान हाई कोर्ट के अन्य न्यायमूर्ति व अधिवक्ता मौजूद रहे। 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने न्यायमूर्ति अमित शर्मा को हाई कोर्ट का स्थायी जज बनाए जाने की सिफारिश की थी और तीन मार्च को केंद्र ने उनकी नियुक्ति को अधिसूचित किया था। हाई कोर्ट में वर्तमान में न्यायाधीश के 60 स्वीकृत पद हैं जबकि 10 महिला न्यायाधीशों सहित 45 न्यायाधीश कार्यरत हैं। दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में कैदियों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है। उन्हें बिना किसी भेदभाव के पैरोल और फरलो दिया जाता है।

दिल्ली सरकार ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल करके कहा कि कैदियों को पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध कराने के साथ ही चिकित्सा अधिकारी की सिफारिश पर उपचार से गुजर रहे कैदियों को लकड़ी के बिस्तर उपलब्ध कराए जाते हैं। इतना ही नहीं दिल्ली की जेलों में कैदियों के बीच लिंग जाति पंथ धर्म सामाजिक स्थिति वित्तीय स्थिति शैक्षिक स्थिति राष्ट्रीयता आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने मामले में कार्यवाही बंद कर दी। जेलों में कुछ कैदियों को दिए जाने वाले तरजीही उपचार की शिकायत का स्वत: संज्ञान लेकर अदालत ने वर्ष 2015 में सुनवाई शुरू की थी। सरकार ने यह भी कहा कि संबंधित विभाग महिला बंदियों के लिए सेमी ओपन जेल स्थापित करने की प्रक्रिया में है। पुरुष कैदियों के लिए इस तरह की जेल पहले से ही है। कैदियों को अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया करवाने में भी जेल प्रशासन जुटा है।

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