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गढ़कुंडार महाराज खेत सिंह खंगार की जयंती 27 तारीख को धूमधाम से मनाई जाएगी गढ़कुंडार में- राजेंद्र सिंह परिहार 

गढ़कुंडार महाराज खेत सिंह खंगार की जयंती 27 तारीख को धूमधाम से मनाई जाएगी गढ़कुंडार में- राजेंद्र सिंह परिहार

यहां स्थित प्रसिद्ध दुर्ग गढ़ के नाम पर पड़ा मध्य प्रदेश राज्य के उत्तर में निवाड़ी जिले में स्थित एक उच्च पहाड़ी चोटी पर स्थित है यह किला उस काल की रक्षार्थ किए गए संघर्षों के बलिदान त्याग राष्ट्र धर्म से संबंधित संस्कृति और परंपराओं से परिपूर्ण खंगार क्षत्रिय महाराजाओं की कर्म स्थली रहा सन 1182 ईस्वी में खंगार राज्य के अधिष्ठाता एवं हिंदुत्व की सजग प्रहरी खेत सिंह खंगार ने विदेशी आक्रमणकारियों मुगलों के विरुद्ध देश धर्म की रक्षार्थ अनेकों आदर्श परंपराओं का प्रचलन किया था जो आज भी जनमानस में पटल पर इस भूभाग में खंगार शासनकाल के ज्योति खंड के वर्तमान के बुंदेलखंड में त्योहारों के रूप में विद्यमान है इस अवेद दुर्ग में महाराजा खेत सिंह खंगार के वंशजों ने 165 वर्ष वर्तमान बुंदेलखंड यानी ज्योति खंड पर शासन किया राजधानी गढ़कुंडार रही 1347 ईस्वी में बादशाह मोहम्मद बिन तुगलक ने गढ़कुंडार राज्य के अंतिम खंगार राजा मानसिंह से राजकुमारी के सर्दे का डोला देने का संदेश भेजा यह कहा कि अपनी रूपवती बेटी के सर्दे का डोला दो नहीं तो भीषण युद्ध के लिए तैयार रहो खंगार राजा मानसिंह ने तुगलक से अपने स्वाभिमान और क्षत्रिय के मान सम्मान की रक्षा की खातिर बलिदान दिया और राजकुमारी केसर के नेतृत्व में हजारों माताओं बहनों के साथ सत्य की रक्षार्थ जौहर प्रथा परंपरा का पालन किया जो देश का प्रथम जोहर था वर्तमान में गढ़ कुंडार महोत्सव के जनक स्वर्गीय श्री उदय सिंह पिंडारी जी के अथक प्रयासों से मध्यप्रदेश शासन द्वारा महाराजा खेत सिंह खंगार जयंती के उपलक्ष में तीन दिवसीय भव्य गढ़ कुंडार महोत्सव एवं मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति परंपराओं से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं हजारों की संख्या में देश के कोने कोने से प्रकृति प्रेमी लोग सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है गढ़कुंडार हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है प्राकृतिक वातावरण मनोरम चारों ओर हरियाली से वातावरण अद्भुत स्वच्छ सुंदर दिखाई देता है वर्ष भर पर्यटक आते जाते रहते हैं

गढ़कुंडार कैसे पहुंचे पहुंचने के लिए वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी के रेलवे स्टेशन से महज 70 किलोमीटर दूरी बस या निजी वाहन से तथा ओरछा से 50 द्वंद की दूरी पर बना गढ़कुंडार गांव तक पहुंचने के लिए आसान मार्ग उपलब्ध है यह झांसी के दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित है मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक किलो में से एक रहस्यमय सुंदर शिल्पकार शिल्प कला का नमूना है पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही शानदार जगह है

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