पूर्व विधायक राजेंद्र भारती का गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को खुला पत्र
दतिया। मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे ही सरकार की किरकिरी होती जा रही है। कहीं पर दबंग अधिकारी किरकिरी करा रहे हैं, तो कई क्षेत्रों में पार्टी के नेता ही पार्टी की किरकिरी कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसी दौरान पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को खुला पत्र लिख डाला। राजेंद्र भारती के द्वारा लिखे गए खुले पत्र में लेख किया है कि
वर्ष 2008, 2013 एवं 2018 विधानसभा चुनाव में स्व. श्रीमती अमानोबाई कुशवाहा, श्री राजेन्द्र रावत (बड़े रावत) को अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु याद किया जाता रहा है।इस के साथ ही पूर्व विधायक एवं जननेता स्व. श्री शंभू तिवारी एवं समाजसेवी स्व. श्री मुरारीलाल गुप्ता की संदिग्ध मृत्यु एवं स्व. श्रीमती अमानोबाई कुशवाहा और स्व. श्री राजेन्द्र रावत की हत्याओं की जांच आपके गृह मंत्रालय रहते हुए होना चाहिए थी। फर्जी प्रकरण बनाने के लिए पुलिस से जिस प्रकार ताना-बाना बुना जाता रहा है, किन्तु र्दुभाग्य है कि उक्त चारों जन नेतायों के संबंध में आपने जांच कराने का प्रयास ही नहीं किया जबकि उम्मीद यह थी कि जनभावनायों का समाआदर करते हुए आप चारों प्रकरणों में दूध का दूध और पानी का पानी जैसी निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच प्रतिपादित करते ।
वर्ष 2023 चुनावी वर्ष है, बहुत सारे हथकण्डे अपनाये जायेगें। कुछ मुद्दे ऐसे होते है, जो जनता से सीधे जुड़े होते है। यह दूसरा अवसर है, जब गृहमंत्रालय दतिया में आया है, इसलिए जनता उम्मीद भी करती है कि गरीब को न्याय मिलेगा, विशेषकर ऐसे मामलों में जहां पुलिस ने निर्दोषों के साथ दरिन्दगी पूर्ण दुआचरण एवं र्दुव्यवहार किया हो ऐसा ही एक मामला है। “मार्च 2013 में नेतराम खंगार की पुलिस अभिरक्षा में मौत का” तब आपके पास गृहमंत्रालय नहीं था शायद इसलिए अनुसूचित जाति के ( खंगार / परिहार जाति) के गरीब व्यक्ति की मौत को जुडिशियली जांच में जांचकर्ता न्यायाधीश श्री आर. बी यादव जी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस कर्मियों को नेतराम की मौत का दोषी मानने एवं पी. एम. रिपोर्ट पर जिला अस्पताल के चिकित्सकों को भी उत्तरदायी होने के पश्चात् भी न्याय प्राप्त नहीं हो सका। समाचार पत्र की कटिंग एवं जांच रिपोर्ट संलग्न है। खंगार समाज का बुंदेलखण्ड में ऐतिहासिक महत्व है और इसलिए भी है कि गढ़कुण्डार रियासत महाराजा खेतसिंह खंगार जूदेव की रही ।
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वफादार बहादुर खंगार समाज अपनी आन-बान-शान के लिए पहचानी जाती है। आज भी गांव की सुरक्षा का भार चौकीदार (खंगार समाज के व्यक्ति) पर ही रहता है, और वह बेचारा गरीब व्यक्ति संपूर्ण गांव की सुरक्षा और सेवा में संलग्न रहता है। खंगार समाज को अपने जनप्रतिनिधि विधायक/मंन्त्री से यह उम्मीद है कि जनता का चुना हुआ व्यक्ति जनता को न्याय देने के लिए जनता का पक्ष लेगा, किन्तु अभी तक ऐसा आभास नहीं हुआ है। बल्कि इसके विपरीत एक जनप्रतिनिधि द्वारा दोषी कर्मचारियों का पक्ष लिये जाने से अनुसूचित जाति खंगार गरीब व्यक्ति की मृत आत्मा को न्याय नहीं मिल पा रहा है। चुनाव वर्ष में उम्मीद है कि खंगार जाति के व्यक्ति की पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत की न्यायिक जांच में पाये गये दोषियों के विरुद्ध आप कानूनी कार्यवाही कर, मृतक की भटकती आत्मा को शांति प्रदान करेगें।
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