ग्वालियर। जिस प्रकार आम आदमी अपना व्यापार व्यवसाय कर धन कमाकर अपना पोषण करता है, ठीक उसी प्रकार नकली बाबाओं ने धर्म को धंधा बना लिया है,लेकिन वो आपको तभी ठग पाएंगे जब आप उनके पास जाओगे। यह विचार सोमवार को नौमहला किलागेट कालीमाता मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन राजयोगनी ब्रह्माकुमारी कृष्णादीदी ने व्यासपीठ से व्यक्त किए
कृष्णादीदी ने कहा कि असली है इसलिए ही तो नकली बन रहा है,लेकिन हमें इसमें फर्क करना पड़ेगा। असल की डिमांड बढ़ती है तो उस चीज की नकल निकल आती है। नकली लोग आपके साथ ठगी न कर पाएं, यह विवेक आपको अपने भीतर जगाना होगा, तो स्वत: ही नकली लोगों की दुकानें बंद हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि बच्चों को सुविधाओं के साथ संस्कार भी दो, नहीं तो वे अनियंत्रित हो जाएंगे और आपको दुखी करेंगे। इसी का परिणाम है कि आजकल बूढे मां-बाप काम करते हैं और जवान बच्चे सुबह 11 बजे तक सोते रहते हैं। ऐसे बच्चे इतने सुविधा भोगी हो जाते हैं कि मां-बाप को दुखी करके भी उन्हें कष्ट नहीं होता है। संसार में सुख सुविधाओं के साथ अशांति भी बढ़ी है। कृष्णा दीदी ने कहा कि क्रोध एक विकार है। कमजोर आदमी को क्रोध अधिक आता है। क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। जिसके जीवन में प्रेम होता है उसके जीवन में क्रोध नहीं रहता है। उन्होंने कहा कि जब हमें कोई कष्ट होता है तो हम अपने सगे संबधियों के आगे रोते हैं, लेकिन किसी को किसी की पीड़ा महसूस नहीं होती। रोना है तो भोलनाथे के आगे रोओ, तो वे आपके सारे कष्ट दूर कर देंगे। संसारी लोगों से मोह ठीक नहीं हैष। मोह को प्रेम से जीतो, जिसको मोह न हो वो मोहन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शरीर नहीं आत्मा सत्य है। शरीर यदि सत्य होता तो जलाया न जाता। शरीर मंदिर और आत्मा मूर्ति है। शरीर मोबाइल तो सिम आत्मा है। इस मौके पर इस मौके पर कथा परीक्षत सुंदरलाल, अवनेश गुप्ता, नीतेश अरविंद प्रमुख रूप से मौजूद रहे
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