महिलाओं के लिए खोला प्रथम विद्यालय, पत्नी को बनाया प्रथम महिला शिक्षिका- पुष्पा सिंह
भोपाल। आज महा मानव राष्ठपिता महात्मा ज्योतिबा राव फूले की जंयती देश प्रदेश में बड़ी धूमधाम से चल समोराह एव सभा आयोजित करके मनाई गई। इसी बीच अखिल भारतीय मानव सेवा परिषद की प्रदेश संयोजक एव मंडल उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी भाजपा नेत्री पुष्पा सिंह ने अपने महिला मंडल के साथ फूले दपंती के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर अपने मंडल के साथ विचार संगोष्ठी का आयोजन कर फूले जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले की जयंती हर साल 11 अप्रैल को मनाई जाती है. 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा में एक माली परिवार उनका जन्म हुआ था। ज्योतिबा फुले का मानना था कि समाज और देश तभी आगे बढ़ सकता है जब महिलाएं भी शिक्षित हों. जब देश में बच्चियों और महिलाओं की शिक्षा के लिए किसी विद्यालय की व्यवस्था नहीं थी,
तब 1848 में उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे में पहला बालिका विद्यालय खोल दिया. विद्यालय तो खुल गया लेकिन समस्या यह थी कि उसमें पढ़ाने के लिए कोई शिक्षिका उपलब्ध नहीं थी. फुले ने तब अपनी पत्नी सावित्री बाई को स्वयं पढ़ाया और उन्हें शिक्षक बनाया. इसके बाद सावित्री बाई लड़कियों के लिए शुरू किए गए स्कूल में पढ़ाने लगीं। समाज के कुछ लोगों ने उनके इस काम में बाधा भी डाली. उनके परिवार पर दबाव डाला गया. नतीजा यह हुआ कि ज्योतिबा फुले को परिवार छोड़ना पड़ा. इससे लड़कियों के लिए शुरू किए गए पढ़ाई-लिखाई के काम में कुछ समय के लिए व्यवधान आया लेकिन जल्द ही फुले दंपति ने सभी बाधाओं को पार करते हुए लड़कियों के तीन स्कूल और खोल दिए. ज्योतिबा फुले के हर काम में उनकी पत्नी पूरा सहयोग करती थीं, इसलिए वह भी एक समाजसेवी कहलाईं. महिलाओं की शिक्षा के लिए किए गए उनके कार्यों को देखते हुए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 1883 में ज्योतिबा फुले को सम्मानित भी किया था. महात्मा फुले के विचार सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वास, पाखंड और अशिक्षा के विरूद्ध क्रांति का बिगुल बजाने वाले थे। इस बीच सभी मंडल प्रतिनिधियों बारी बारी से अपने विचार रखे।
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