नई दिल्ली :- दिल्ली कैंट इलाके में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (आईडीएस) के नए मुख्यालय के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने आज प्रोजेक्ट के अंर्तगत आ रहे पेड़ों को हटाने और ट्रांसप्लांट करने की फाइल को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलने के बाद अत्याधुनिक आईडीएस कॉम्पलेक्स के निर्माण का काम शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है। इस भवन में अधिकारियों का मेस और कैंप बनेगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने इस भवन के निर्माण में आड़े आ रहे 114 पेड़ों को हटाने और उनके प्रत्यारोपण के लिए एक प्रस्ताव बनाकर दिल्ली सरकार के पास भेजा था।
इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय हित में बताते हुए सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने प्रस्ताव को शर्तों के साथ मंजूदी दी है। शर्तानुसार केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को प्रोजेक्ट स्थल पर स्थित पेड़ों में से 60 को ट्रांसप्लांट करना होगा, जबकि 54 पेड़ों को हटाया जाएगा और इसके बदले दस गुना अधिक (1,140) अतिरिक्त नए पौधे लगाएगा।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय ने मेहराम नगर में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ मुख्यालय के निर्माण का प्रस्ताव दिया था। मगर साइट पर मौजूद कुछ पेड़ों की वजह से निर्माण कार्य में बाधा आ रही थी।
रक्षा मंत्रालय ने अपने अधिकारियों ने इस संबंध में दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर निर्माण स्थल से 114 पेड़ों को हटाने और उनके प्रत्यारोपण की मंजूरी मांगी थी। दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री श्री गोपाल राय ने इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष पेश किया।
जिसके बाद सीएम ने इसे राष्ट्रहित में बताते हुए कुछ शर्तों के साथ अपनी मंजूरी दे दी।
भारतीय सेना के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के महत्व को देखते हुए सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने इसे राष्ट्रहित में बताया और निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी।
इस प्रस्ताव की मंजूरी से सेना को अपने बुनियादी ढांचे के आधुनिक बनाने और उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में मददगार साबित होगी।
प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह नोट भी दर्ज किया है कि इस प्रस्ताव पर राय या निर्णय प्रकट करने के लिए एलजी को भेजा जाएगा।
ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल जीएनसीटीडी एक्ट 2021 के तहत एलजी को सात कार्य दिवस के अंदर अपनी राय देने का नियम है। इसके तहत एलजी अपनी सहमति या अलग राय दे सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने आगे यह भी उल्लेख किया है कि 114 पेड़ों में से रक्षा मंत्रालय 60 पेड़ों का प्रत्यारोपण करेगा, जबकि 54 पेड़ों की कटाई करेगा। पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन प्रोजेक्ट स्थल के अंदर ही चिंहित स्थान पर होगा।
दिल्ली सरकार ने मंत्रालय से कहा है कि वो साइट से केवल उन्हीं पेड़ों को हटा सकते हैं जिसकी दिल्ली सरकार ने मंजूरी दी है। इसके अलावा एक भी पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। अगर इसके अलावा कोई भी पेड़ क्षतिग्रस्त होता है तो उसे दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के अंतर्गत अपराध माना जाएगा।
दिल्ली सरकार ने पेड़ों को हटाने और उनके ट्रांसप्लांटेशन के बदले रक्षा मंत्रालय को 10 गुना ज्यादा पौधे लगाना अनिवार्य कर दिया है।
इसलिए अब वह निर्माण स्थल पर 52 फीसद पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन के अलावा 1,140 नए पौधे भी लगाएगा। इन पेड़ों को स्थानांतरण की मंजूरी मिलने की तिथि के तीन महीने के अंदर पहले से चिंहित जगह पर लगाया जाएगा।
दिल्ली सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार रक्षा मंत्रालय अगले सात वर्षों तक पेड़ों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी लेगा।
दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण के बदले में दिल्ली की मिट्टी और जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे।
जिसमें नीम, अमलतास, पीपल, पिलखन, गूलर, बरगद, देसी कीकर और अर्जुन के पेड़ शामिल हैं। इन पेड़ों को गैर वन भूमि पर 6-8 फीट ऊंचाई के पौधे के रूप में लगाया जाएगा।
जिन पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जाना है, उनके लिए मंत्रालय को आवश्यक शर्तों को पूरा करते हुए इसकी प्रक्रिया तुरंत शुरू करने और इसे छह महीने के अंदर पूरा करने के लिए कहा गया है।
इनकी देखरेख के लिए रक्षा मंत्रालय वृक्ष अधिकारी से इसकी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। दिल्ली सरकार ने मंत्रालय से इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जितने भी पेड़ प्रत्यारोपण में जीवित नहीं रहे, उनके स्थान पर 15 फीट ऊंचाई और कम से कम 6 इंच व्यास वाले स्वदेशी प्रजातियों के पेड़ों को 1.5 के अनुपात में लगाया जाएं।
यदि किसी पेड़ पर पक्षियों का बसेरा पाया जाता है तो उसे तब तक काटने या हटाने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि पक्षी पेड़ को छोड़ नहीं देते है। साथ ही, पेड़ों की कटाई के बाद पेड़ों की टहनियों को 90 दिनों के भीतर पास के श्मशान घाट में मुफ्त में भेजा जाएगा।