दतिया ब्यूरो-रहमत खान की रिपोर्ट
इंदरगढ़ मै “अंधेर नगरी चौपट राजा”कहावत सहकार हो रही है क्या ?
दतिया।आपको जानकर हैरानी होगी कि तीन साल तक नगर परिषद एसडीएम के अधीन रही, इसलिए 3 साल तक कोई विकास नहीं हो पाया। नगर इंदरगढ़ परिषद क्षेत्र में लोगों ने आशा लगाई जब चुनाव होंगे और प्रतिनिधि नियुक्त होंगे तो हमारे नगर की हर वार्ड की समस्याओं का समाधान होगा। नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा हुई, नगर के लोगों में खुशी का माहौल पैदा हुआ। इसलिए कि अब हमारे वार्ड के प्रतिनिधि हमारी समस्याओं का समाधान कराएंगे। प्रशासन की समस्त योजनाओं का लाभ दिलाएंगे।
लेकिन सरकार ने एक ऐसा कानून पास किया है कि जिसमें नगर परिषद के चुनाव में जनता अध्यक्ष नहीं चुन सकेगी अध्यक्ष को चुनने का काम सिर्फ पार्षद करेंगे और हुआ भी यही जनता से एक वोट का अधिकार छीन कर पार्षदों द्वारा अध्यक्ष चुने गए और अध्यक्ष महोदय ने समस्त पार्षदों को अपने पक्ष में वोट करने के लिए एवं नगर इंदरगढ़ मैं दो पार्षदों को छोड़कर समस्त पार्षदों को अपना अध्यक्ष मानने के लिए 13 पार्षदों को लाखों रुपए खर्च करके अपने पक्ष में वोट लिए। अब सोचने वाली बात यह है कि जब अध्यक्ष महोदय पार्षदों पर लाखों रुपए खर्च करेंगे तो फिर वह विकास कैसे करा पाएंगे और पार्षद प्रतिनिधि लाखों रुपए में बिकने के बाद क्या सीना तान कर अध्यक्ष से बात कर सकते हैं या अपने वार्ड की समस्या का समाधान करा सकते हैं। नगर पालिका अध्यक्ष गौरी रामस्वरूप मंडेलिया के सामने नजरें मिलाने के काबिल तक नहीं रहे।
क्या ऐसी स्थिति में पार्षदों की नगर परिषद में सुनवाई हो सकती है सारे पार्षद अपने अपने वार्ड में चुनाव जीतने से पहले तमाम बातें करते रहे चुनाव जीतने के बाद आज अपने वार्ड में जनता को गुमराह कर रहे हैं कि मेरी नगर परिषद में बैठे हुए अध्यक्ष महोदया श्री मती गौरी रामस्वरूप मंडेलिया सुनवाई नहीं कर रहे हैं। लेकिन कोई भी पार्षद अपने वार्ड के लोगों से यह बताने को तैयार नहीं है कि मैंने अध्यक्ष को जब चुना है तो लाखों रुपए ले लिए हैं इसलिए हमारी सुनवाई नगर परिषद मैं हो नहीं रही अब सोचने वाली बात यह है कि समस्त वार्डों के वार्ड वासी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसके पास जाएं एवं अपनी समस्याओं का समाधान कैसे करा पाए क्योंकि पार्षद वार्ड वासियों से यह कहकर टाल रहे हैं कि मेरी सुनवाई नहीं हो रही है उधर नगर परिषद अध्यक्ष को वार्ड वासी जाकर बोलते हैं किसी समस्या के बारे में तो अध्यक्ष महोदय का जवाब यथार्थ पूर्व सही होता है वह यह कहते हैं कि मैंने आपसे बोट नहीं लिए इसलिए मैं आपका काम कैसे करा सकता हूं अपने पार्षदों से जाकर अपनी समस्या पूरी कराओ जब वार्ड वासी पार्षदों से बात करते हैं तो पार्षद यह कहकर पल्ला झाड़ देते हैं मेरी परिषद में बैठे हुए अध्यक्ष महोदय सुन नहीं रहे इसलिए मैं कुछ कर नहीं पा रहा हूं।
अब सोचने वाली बात यह है पूरे नगर के अंदर समस्याओं के अंबार लगे हैं जलभराव की स्थिति नाली टूटी फूटी पड़ी सड़के उखड़ी एवं आवारा सूअरों का आतंक और पूरे नगर के अंदर आवारा गोवंश काफी बड़ी समस्या का विषय है पूरे नगर क्षेत्र में समस्याओं के अंबार लगे हैं व्याप्त समस्याएं जन्म ले रही हैं जल भर धन योजना फेल है, स्वच्छ भारत मिशन फेल है, तमाम कल्याणकारी योजनाएं फेल है, नगर परिषद द्वारा ज्वलंत समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है जो पैसा प्रतिनिधियों का चुनाव में खर्च हुआ है उस पैसे को अपनी जेब में वापस भरने के लिए जनप्रतिनिधि ऐसे कामों को प्रस्ताव पास करके कराने का कार्य कर रहे हैं जिससे कि उनकी चुनाव के समय खर्च हुई राशि उनकी जेब में आ जाए जनता जाए भाड़ में जनता के सुख दुख में कोई सहयोग नहीं कर रहा नगर के हर वार्ड में समस्याओं के अंबार लगे हुए हैं छोटी-छोटी समस्याओं से नगरवासी और वार्ड वासी परेशान है उनकी सुनने वाला कोई नहीं है
वैसे तो शिवराज सरकार तमाम जन हितेषी योजनाओं को लागू कर रही है प्रदेश की सरकार की मंशा अनुसार जनप्रतिनिधि प्रदेश सरकार की छवि खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है चपरासी से लेकर अधिकारी तक जनता की समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं है तो फिर समस्याओं का समाधान कैसे होगा नगर परिषद इन दिनों दलाली का अड्डा बन के रह गया है चंद्र लोगों के इशारे पर नगर परिषद चल रही है क्योंकि आज भी नगर इंदरगढ़ में पात्र हितग्राही आवास योजना से वंचित है अपात्र लोगों के समस्त काम पैसा देकर हो गए हैं लेकिन पात्र हितग्राहियों के पास कर्मचारियों को पैसा देने के लिए नहीं था इसलिए वह आज भी अपात्र हैं अगर नगर इंदरगढ़ की ठीक से जांच की जाए तो बीपीएल कार्ड धारक ऐसे देखने को मिलेंगे जिनके नाम 50 50 बीघा जमीन है और जिसके पास एक विषवा जमीन नहीं है उसके पास खुद का मकान नहीं है ऐसे पीड़ित लोगों के लिए कोई बीपीएल कार्ड की सुविधा नहीं है इस कारण से तमाम वृद्ध लोगों की पेंशन भी नहीं बन पा रही इसलिए मेरा यह मानना है जनप्रतिनिधि एवं शासन प्रशासन गरीब मेहनतकश मजदूर एवं आम आदमी के पक्ष में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही जिससे राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को मिल पाए हजारों प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत कर दिए गए हैं इंदरगढ़ नगर परिषद में लेकिन जो किराए से रह रहे इस महंगाई के दौर में दो ₹3000 महीना किराया दे रहे एवं जो झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे रोज कमाने खाने वाले लोग क्या सिर्फ वोट देने के लिए ही काम आते हैं।
सरकार को इनकी पीड़ा दिखाई क्यों नहीं दे रही, उनके आगे भी बच्चे हैं उनके भी अरमान है वह भी भारत के नागरिक हैं एवं उनके पास मतदान करने का अधिकार भी है फिर यह सौतेला व्यवहार ऐसे परिवारों के साथ क्यों किया जा रहा है। नगर परिषद की आंख पर पट्टी बंधी हुई है जब कि चंबल आचरण द्वारा प्राथमिकता के साथ जन हितेषी समस्याओं के समाधान के लिए खबरों को प्रकाशित किया जा रहा है, लेकिन अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि अपनी आंख और कान को बंद करके अपनी मनमर्जी करते चले आ रहे हैं। क्या यही लोकतंत्र है जहां जनता की आवाज को ना सुना जाए एवं उनकी समस्याओं का समाधान न किया जाए
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