शिव सिंह कुशवाह/सेवड़ा
सेवढ़ा विधान सभा क्षेत्र की जनता चाहती है विकास लेकिन विकास हुआ ही नहीं
युवा रोजगार को लेकर तो किसान फसल के वाजिब दाम को लेकर रहता है परेशान
चुनाव जीतने के बाद नही लेते जनता की सुध
सेवड़ा। सेवड़ा विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की अति महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। जहां से 2018 में कांग्रेस के धनश्याम सिंह ने जीत दर्ज की थी। इस बार 2023 में सेवड़ा विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे यह तो जनता को तय करना है। संपादक शिव सिंह कुशवाहा ने राजनीतिक विश्लेषक शिवरमन सिंह राठौर से बात करते हुऐ सेवढ़ा विधान सभा क्षेत्र में चुनावी विश्लेषण को लेकर चर्चा की उसी आधार पर हम अपनें पाठकों को एक विस्तृत कवरेज लाए हैं जिसमें आप सेवढ़ा विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों की अपनी विचारधारा और विकास कार्य के संकल्प के साथ-साथ जान सकेंगे सेवढ़ा विधान सभा क्षेत्र के पिछड़ेपन के क्या कारण है।
सेवड़ा विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के दतिया जिले में आती है। 2018 में सेवड़ा विधान सभा क्षेत्र में कुल 53 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2018 में कांग्रेस के घनश्याम सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के राधे लाल बघेल को 33 हज़ार वोटों के मार्जिन से हराया था।
सेवड़ा विधानसभा सीट भिंड दतिया संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यह संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। भिंड दतिया लोक सभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की श्रीमती संध्या राय सांसद हैं। उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस के देवाशीष जरारिया को 199885 वोटों से हराया था।
दतिया जिले में आने वाली सेवढ़ा विधानसभा की सीट 2008 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। इस सीट पर हुए 1951 में पहले चुनाव में कांग्रेस के रामदास अहिरवार ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2003में अनुसूचित जातिके लिए आरक्षित रही सेवढ़ा विधान सभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रामदयाल प्रभाकर ने कांग्रेस के महेंद्र बौद्ध को हराया था इसके बाद सेवढ़ा विधान सभा सीट अनारक्षितहो गई। इसके बाद इस सीट पर कभी भी किसी एक पार्टी का बोलबाला नहीं रहा है। सेवढ़ा की जनता पिछले तीन बार से अलग-अलग दल के उम्मीदवार को विधायक बना कर विधानसभा में भेजती आई है।
पिछले चुनावों के आंकड़ें:-
2008 में जहां बीएसपी के राधेलाल बघेल ने चुनाव जीता तो वहीं 2013 में बीजेपी के प्रदीप अग्रवाल को यहां की जनता ने चुना था और 2018 में कांग्रेस के घनश्याम सिंह ने जीत दर्ज की थी। 2013 के चुनाव में कांग्रेस के घनश्याम सिंह दूसरे स्थान पर थे। 2013 में जीत हासिल करने वाले प्रदीप अग्रवाल 2008 के चुनाव में दूसरे स्थान पर थे।
2018 में ऐसा था परिणाम:-
2018 के चुनाव परिणाम की बात करें तो सेवढ़ा विधान सभा सीट पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था। कांग्रेस प्रत्याशी घनश्याम सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के राधेलाल बघेल को करीब 33 हजार वोटों के अंतर से हराया था। 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी घनश्याम सिंह को 64810 वोट मिले तो वहीं भाजपा प्रत्याशी राधेलाल बघेल 31542 वोट मिले थे। बसपा के लाखन सिंह यादव 18 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।
इस बार क्या कहती है सेंवड़ा की जनता:-
सेंवड़ा विधानसभा में मुद्दों की कमी नहीं है। जब हमने कांग्रेस विधायक के प्रदर्शन को लेकर स्थानीय मतदाताओं से बात की तो मिला जुला जबाब दिया गया। एक मतदाता ने विकास कार्यों को लेकर कहा कि विकास के काम तो हुए हैं। इसके उलट में एक अन्य मतदाता ने यहां के कांग्रेस विधायक ने विकास के काम ठीक से नहीं किया है। पुराने विधायक की घर वापसी करवाना है, उनके कार्यकाल में विकास के काम बहुत अच्छे हुए हैं।
समस्या और मुद्दों के सवाल इंदरगढ़ के एक व्यापारी मतदाता ने कहा कि यहां सबसे बड़ी समस्या बाजार और बाईपास की है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। एक अन्य नागरिक ने कहा 5 साल के कार्यकाल में यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों की पार्टियों ने कोई काम नहीं किया है। विकास के नाम पर सेंवड़ा विधान सभा क्षेत्र जीरो है।
ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं से जब हमने बात की तो सबने कई समस्याओं को गिनाया। एक युवा ने कहा कि सड़क, पानी, और बिजली का बुरा हाल है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
विकास की नहीं होती बात:-
शिवरमन सिंह राठौर ने कहा कि चुनाव में क्षेत्र का विकास मुख्य मुद्दा होना चाहिए। लगातार पिछड़ती जा रही सेंवढ़ा विधानसभा क्षेत्र का चुनाव राजनैतिक दलों के गुणाभाग का शिकार होकर रह जाता है। सेवढ़ा क्षेत्र के लांच नदी, सेवढ़ा संनकुआ, और रतनगढ़ मंदिर के तीनों पुल पिछले कई वर्षो से टूटे हुए हैं इन्हें बनाने के लिऐ कोई प्रयास नहीं हुऐ है। इंदरगढ़ में खेल मैदान नही हैं। इंदरगढ़ में सी एम राइज स्कूल का भवन निर्माण कार्य नहीं शुरू हुआ, नगर में जल भराव की समस्या है बस स्टैंड नही बना,रोजगार के साधन नहीं है युवा बेरोजगार हैं। सड़क पर जाम की समस्या बनी रहती है। ऐसी तमाम जनहित की समस्याओं का निराकरण नही हुआ है। इस बार का चुनाव विकास के मुद्दे पर होना चाहिए।
अब तक किसी भी उम्मीदवार ने सेवढ़ा विधान सभा क्षेत्र के विकास का रोल मॉडल अपने एजेंडे में पेश नहीं किया है ।
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