अलग अलग प्राइवेट लैब में जांच कराने पर सामान्य आई रिपोर्ट,परिजनों ने ली राहत की सांस
भिण्ड 11 नवम्बर। जिला अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है आलम यह है कि मरीजो का इलाज करने की बजाए उन्हें ग्वालियर रेफर करना मुनासिब समझा जाता है।इसीलिए लोगो का सरकारी अस्पताल से विशवास उठता जा रहा है।लोग सरकारी अस्पताल में इलाज कराने की जगह प्राइवेट अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।
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लेकिन मुफलिसी में जीवन जी रहे लोगो के लिए तो सरकारी अस्पताल ही है जिसकी लाचार व्यवस्थाओ के साथ अपनी जिंदगी दाव पर लगानी पड़ती है।इतना ही नहीं कभी कभी गलत रिपोर्ट के आधार पर इलाज होने पर जान से भी हाथ धोना पड़ता है।बता दें कि महावीर नगर निवासी संतोष सिंह उम्र 43 वर्ष को विगत एक-दो दिन से बुखार आ रहा था जिस पर उनके परिजनों के द्वारा शुक्रवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ पर डॉ विनीत गुप्ता के द्वारा उनकी खून की एवं सीबीसी जांच कराई गई जिसमें हीमोग्लोबिन मात्र 4.0 ग्राम एवं प्लेटलेट काउंट 23 हजार आया जिसके आधार पर डॉ ने नाजुक हालत बताते हुए संतोष को ग्वालियर रैफर कर दिया।लेकिन परिजनों को संतोष को देखकर शंका हुई कि इतनी जल्दी इतनी हालत खराब कैसे हो सकती है तत्पश्चात परिजनों ने प्राइवेट जांच कराने की सोची जिसका नतीजा बेहद ही चौकाने वाला आया।
अलग अलग प्राइवेट लैब पर कराई जांच, सामान्य आई रिपोर्ट
बता दें कि संतोष के परिजनों ने जब शनिवार को डॉ लाल पैथलेब पर जांच कराई तो हीमोग्लोबिन 12.9 आया वही प्लेटलेट काउंट 1 लाख 23 हजार आया वही गुरुकृपा पैथोलॉजी लेब पर जांच कराने पर 12.8 आया एवं प्लेटलेट काउंट 1 लाख 23 हजार आया एक दिन में दो अलग अलग प्राइवेट जांच कराने के पश्चात दोनों में सामान्य रिपोर्ट आई जबकि सरकारी अस्पताल में गंभीर हालत बताई गई थी अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी अस्पताल में किस प्रकार से इलाज किया जा रहा है।
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