*मामला- ग्राम पंचायत बरहा के मजदूर छोटे कुशवाह की मृत्यु के उपरांत मिलने वाली अनुग्रह राशि का*
*चंबल आचरण*
*लहार/ शिव सिंह कुशवाह*
भिंड/लहार 30 अगस्त 21। भिंड जिले की लहार जनपद का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें सचिव की दबंगई एवं पक्षपाती रवैए के चलते पति की मृत्यु के उपरांत मिलने वाली अनुग्रह राशि पाने के लिए गरीब बेवा महिला गीता कुशवाह दर-दर भटकने को मजबूर है। लेकिन सचिव अजीत सिंह की दबंगई के चलते अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है और नाहि कुछ करने को
आपको बता दें कि जनपद पंचायत लहार के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बरहा के सचिव अजीत सिंह राजावत की दबंगई इस प्रकार हावी है कि दबंगई के चलते पूरे ग्रामवासी परेशान हैं।
हद तो तब हो गई जब सचिव अजीत सिंह के द्वारा वेवा महिला गीता कुशवाह को ही चुप करा दिया गया। बेवा महिला की गलती यह है कि पति की मृत्यु के उपरांत मिलने वाली अनुग्रह राशि के लिए सचिव महोदय से आग्रह किया था। जिस पर झलाय दबंग सचिव अजीत सिंह के द्वारा महिला को यह कहकर चुप करा दिया गया कि इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूं आपको यदि अनुग्रह राशि प्राप्त करना है तो आप भिंड जाइए। बेचारी महिला क्या करती क्योंकि वेवा महिला मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों का लालन पालन करते हुए अपना पेट पाल रही है। उसके पास इतना भी खर्चा नहीं है कि वह भिंड तक जा सके।
आपको बता दें कि ग्राम बरहा निवासी मजदूर छोटे कुशवाह पुत्र श्री स्वर्गीय दिल्ले कुशवाह की मृत्यु लगभग 2 वर्ष पूर्व हो गई थी स्वर्गीय छोटे संबल श्रमिक कार्ड धारी थे, जिन की बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी। स्वर्गीय छोटू कुशवाहा की मृत्यु के समय सरपंच /सचिव के द्वारा अंत्येष्टि के लिए मिलने वाले ₹5000 तो दे दिए गए थे, लेकिन कुछ समय बाद वेवा महिला गीता कुशवाहा के द्वारा सचिव से कहा गया कि श्रीमान सचिव महोदय हमारे पति की मृत्यु के उपरांत मिलने वाली अनुग्रह राशि (दो लाख रुपए) की कार्रवाई कैसे करें तो सचिव महोदय का असली चेहरा सामने आ गया और डरा धमका कर महिला को चुप करा दिया गया। बेचारी महिला थक हार कर घर बैठ गई।
*सूत्रों की माने तो अनुग्रह राशि पाने के लिए हितग्राही को लगभग 20,000 से लेकर ₹30000 सेवा शुल्क देनी होती है*
जनपद लहार से सूत्रों के हवाले से यह भी खबर निकल कर आ रही है कि किसी भी श्रमिक की मृत्यु उपरांत मिलने वाली अनुग्रह राशि पाने के लिए हितग्राही को लगभग 20000 से ₹30000 तक खर्च करना होता है तब जाकर अनुग्रह राशि हितग्राही के खाते में पहुंचती है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि किसी गरीब मजदूर के पास इतनी राशि कहां से आएगी।
शायद राशि न देने के कारण ही ग्राम पंचायत बरहा के हितग्राही आज दिनांक तक अनुग्रह राशि पाने से वंचित हैं
अब आगे देखना यह है कि श्रीमान कलेक्टर महोदय भिंड वेवा गीता की फरियाद सुनते हैं या फिर दबंग सचिव अजीत सिंह की दबंगई का शिकार होते रहेंगे ग्रामवासी।