भोपाल – बीते तीन साल में प्रदेश में काम कर रहे 54 एनजीओ का पंजीयन रदद कर दिया गया है। इन एनजीओ पर दान में मिली राशि के दुरुपयोग करने के आरोल लगे हैं। फारेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के अंतर्गत विदेश से दान में राशि लेकर दुरुपयोग करने के आरोप है। यही वजह है कि वर्ष 2020 से अब तक प्रदेश में काम कर रहे 54 गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का पंजीयन रद किया जा चुका है।
यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019-20 से 2021-22 के बीच 730 करोड़ रुपये विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रदेश के एनजीओ को मिले हैं। बता दें कि डिंडौरी के जिस मिशनरी स्कूल में छात्राओं के यौन शोषण का मामला सामने आया था
वहां भी एफसीआरए के अंतर्गत मिली राशि के दुरुपयोग के साक्ष्य राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच में मिले थे। प्रदेश में एफसीआरए के अंतर्गत पंजीकृत 314 संस्थाएं हैं। यह धार्मिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों में काम कर रही हैं। दरअसल, कई संस्थाएं जिस काम के लिए विदेश से राशि प्राप्त करती हैं उसकी जगह दूसरे काम में उसका उपयोग करते हैं।
इस राशि के गबन के मामले भी सामने आ चुके हैं। यही कारण है केंद्र सरकार ने भी इस पर सख्ती की है। विदेश से सहायता लेने वाली संस्थाओं के लिए पंजीयन अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा प्राप्त सहायता का रिटर्न भरना होता है। इस तरह की कसावट के बाद भी गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। केंद्र सरकार को इस बात की चिंता है कि इस राशि का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में न हुआ हो। शिक्षा देने के नाम पर मध्य प्रदेश की संस्थाओं ने विदेश से करोड़ों रुपये का अनुदान लिया, इसके बाद बच्चों से भी फीस के नाम पर राशि वसूली गई। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने प्रदेश की ऐसी संस्थाओं पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार और जनजातीय कार्य विभाग को नोटिस दिया था,
लेकिन नोटिस के एक माह बाद भी विभाग ने कार्रवाई नहीं की है। ऐसी संस्थाएं अब भी बिना किसी भय के संचालित हैं। बता दें कि विदेश से अनुदान लेने वाली संस्थाओं पर निगरानी रखने के लिए केंद्रीय गृह विभाग के निर्देश हैं, लेकिन राज्य सरकार ने न तो ऐसी संस्थाओं को सूचीबद्ध किया है और न ही कोई कार्रवाई की है। बता दें कि डिंडौरी के मिशनरी स्कूल जुनवानी में नाबालिग आदिवासी छात्राओं के साथ यौन शोषण का गंभीर मामला सामने आया था।
इस मामले में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जांच के निर्देश दिए थे। जनजातीय कार्य आयुक्त संजीव सिंह ने बताया कि विदेश एवं केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त संस्थाओं का प्रतिवर्ष कलेक्टरों द्वारा आडिट कराया जाता है। इसी रिपोर्ट के आधार पर संस्थाओं को अनुदान की निगरानी की जाती है। कुछ संस्थाओं की शिकायतें मिली है, लेक्टरों से जांच करा रहे हैं। बता दें कि जेडीईएस मिशनरी स्कूल जुनवानी में चार-अलग अलग छात्रावास और आश्रम संचालित हैं।
यहां प्रति छात्र से 1460 और छात्राओं से 1500 सौ रुपये प्रतिमाह शिष्यवृत्ति के तौर पर शासन से लिए जा रहे थे। वहीं छात्र-छात्राओं से मेस संचालन के नाम पर फीस भी वसूली जा रही थी। इसी तरह मंडला के मिशनरी स्कूल में भी इस तरह की शिकायत मिली थी। कानूनगो ने प्रदेश के ऐसे मिशनरी स्कूलों की जांच कराने के लिए के लिए कहा था और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। इसके बाद अब प्रदेशभर के मिशनरी स्कूलों की जांच कराई जा रही है।