Sat. Mar 22nd, 2025

लोकसभा उपचुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने जालंधर में डेरा डाला

लोकसभा उपचुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने जालंधर में डेरा डाला
लोकसभा उपचुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने जालंधर में डेरा डाला

जालंधर:- जालंधर में होने वाले लोकसभा उपचुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेताओं ने इन दिनों जालंधर में डेरे डाल रखा है।

लोकसभा उपचुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने जालंधर में डेरा डाला
लोकसभा उपचुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने जालंधर में डेरा डाला

इस बार इन चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों में कड़ा मुकाबला है। इसीलिये हर पार्टी चुनावों में पूरी ताकत झोंक रही है।

चुनावों में खास बात यह है कि चाहे यह उपचुनाव 9 विधानसभा सीटों पर आधारित है परंतु सबसे ज्यादा सरगर्मी जालंधर में ही देखने को मिल रही है जहां हर आए दिन किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी का बड़ा नेता आ धमकता है।

जालंधर वैस्ट विधानसभा क्षेत्र सबसे अजीब तरह की राजनीति का गढ़ बना हुआ है।

पहले हुए विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्य मुकाबला कांग्रेस के सुशील रिंकू, आप के शीतल अंगुराल तथा भाजपा के महेंद्र भगत के बीच था। तीनों ही उम्मीदवारों ने दूसरी विरोधी पार्टियों पर जमकर प्रहार किए और एक-दूसरे को हराने के लिए हर संभव प्रयास किया।

वैस्ट में सुशील रिंकू और शीतल अंगुराल की पारंपरिक दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है। भाजपा में रहते हुए शीतल अंगुराल ने भी हर मौके पर महेंद्र भगत को पटखनी देने का ही प्रयास किया है।

वर्तमान में साल पहले एक दूसरे के दुश्मन तीनों नेता आज एक दूसरे का हाथ पकड़े नजर आते हैं।

शीतल अंगुराल सुशील रिंकू के लिए वोट मांग रहे हैं और महेंद्र भगत अपने क्षेत्र के विधायक और हमेशा प्रतिद्वंद्वी रहे सुशील रिंकू की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं।

जिन नेताओं ने पिछले विधानसभा चुनावों में रिंकू को हराने के लिए जी तोड़ मेहनत की अब उन्हीं नेताओं पर रिंकू को जिताने की जिम्मेदारी है।

एक साल में हुए हृदय परिवर्तन के ऐसे मामलों को अब क्षेत्र के मतदाता किस भावना से लेते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा परंतु इतना निश्चित है कि लोकसभा उपचुनाव के नतीजों पर न केवल वैस्ट की आगामी राजनीति निर्भर करती है बल्कि कुछ ही महीनों बाद होने वाले निगम चुनाव भी इन नतीजों से खासे प्रभावित होंगे।

कुछ ही महीनों बाद होने जा रहे जालंधर नगर निगम के चुनावों को देखते हुए पिछले कुछ सप्ताह से शहर के कई पूर्व पार्षद दलबदल करके दूसरी पार्टियों में जा चुके हैं।

ज्यादातर पूर्व पार्षदों को लालच या आश्वासन दिया गया है कि उन्हें आगामी निगम चुनावों में भी कौंसलर की टिकट देकर नवाजा जाएगा। सवाल यह उठता है कि दोबारा कौंसलर बनने की चाह लेकर दलबदल कर चुके नेताओं की इच्छा क्या पूरी हो सकेगी।

साल पहले हुए विधानसभा चुनाव दौरान आम आदमी पार्टी के नए-नए उभरे उम्मीदवारों ने अपनी पार्टी में शामिल कैडर को कौंसलर की टिकटों संबंधी जो आश्वासन दे रखे हैं, अब उनका क्या बनेगा। इसीलिए माना जा रहा है कि आगामी निगम चुनाव बहुत ही ज्यादा दिलचस्प, हंगामापूर्ण और अनिश्चितता से भरे होंगे।

 

 

 

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *