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शेरपुर में मनाई गई शिक्षा का अलख जगाने वाली प्रथम महिला शिक्षिका की 191वी जयंती

भिण्ड। सामाजिक कुप्रथाओं के बीच महिलाओं को शिक्षा का अधिकार ना होने के बावजूद भी प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए 18 स्कूलों को खोलने का काम किया था।लेकिन 170 साल बाद भी ग्रामीण अंचल में बेटियों को शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं है।हम सबको मिलकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।तभी शिक्षा की देवी का यह सपना साकार हो सकेगा यह बात शेरपुर में सावित्रीबाई फुले की 191वी जयंती पर आयोजित किए गए कार्यक्रम के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष मानसिंह कुशवाह ने कही।

जिला अध्यक्ष मान सिंह कुशवाहा ने सर्वप्रथम माता सावित्रीबाई फुले एवं महापुरुष ज्योतिराव फुले की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया तत्पश्चात उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष मानसिंह कुशवाह ने कहा कि सामाजिक कुप्रथाओं के बीच महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था।बावजूद इसके उन्होंने 18 महिला स्कूलों को ना सिर्फ खुला बल्कि उसमें शिक्षिका के रूप में सभी को विद्या का दान दिया। इतना ही नहीं जिलाध्यक्ष मान सिंह कुशवाह ने उनके जीवन से जुड़ी घटना के बारे में बताते हुए कहा कि महापुरुष ज्योतिराव फुले और विद्या की देवी सावित्री बाई फुले ने साल 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना की।इसमें सावित्री बाई फुले प्रिंसिपल के साथ शिक्षिका भी बनीं।1897 में पुणे में प्लेग जैसी महामारी फैल गई। इस महामारी के मरीजों की सेवा करने के लिए फुले दंपती ने एक क्लिनिक खोला।यहां वह खुद मरीजों की सेवा करती थीं। इस दौरान वह खुद प्लेग की चपेट में आ गईं। उनकी हालत तेजी से बिगड़ी और 10 मार्च, 1897 को उनका निधन हो गया। इस कार्यक्रम का आयोजन बंटी कुशवाह व उनके युवा समर्थकों के द्वारा किया गया।जिसमें मुख्य रूप से कांग्रेस नेता जबर सिंह कुशवाह, रामबरन सिंह कुशवाह,विनोद सिंह कुशवाह आदि उपस्थित रहे।वहीं कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए।

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