भोपाल:- नेमीनाथ दिगम्बर जैन मंदिर करोंद में स्थापित नवीन चौबीसी के पंचकल्याणक महोत्सव का शुभारंभ ध्वजारोहण के साथ हुआ।

जिनालय से गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकली। धर्म-ध्वजा तले निकली शोभायात्रा में भगवान जिनेन्द्र का रजतमयी रथ प्रतीकात्मक ऐरावत हाथी के साथ सुसज्जित बघ्घियों पर प्रमुख पात्र विराजमान थे। शोभायात्रा आयोजन स्थल अयोध्या नगरी (सेफिया कालेज ग्राउण्ड) पहुंची।
यहां पर आचार्य विद्या सागर महाराज के शिष्य मुनि अजित सागर महाराज, मुनिश्री निर्दोष सागर महाराज, मुनि निर्लोभ सागर महाराज, मुनि निरूपम सागर महाराज, एलक दयासागर महाराज, एलक विवेकानंद सागर महाराज के सानिध्य में विधि-विधान से गुरु आज्ञा इन्द्र प्रतिष्ठा, सकलीकरण, मण्डप शुद्धि, पात्र शुद्धि आदि क्रियाऐं मंत्रोच्चार के साथ हुई।
विधानाचार्य विनय भैया, अशोक भैया, सुमत भैया के निर्देशन में याग मण्डल विधान और धार्मिक अनुष्ठान हुये।
समाज के प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि ध्वजारोहण करने का सौभाग्य विनोद- बबीता विपिन-मनीषा एमपीटी परिवार को प्राप्त हुआ और मुख्य मंडप उद्घाटनकर्ता मनोज इंजी., सीमा एमआर परिवार थे। इस अवसर पर मुनिश्री अजित सागर महाराज ने आशीषवचन में कहा कि अपने अंदर के पापों को गलाने का प्रयास किया तो पंचकल्याणक सार्थक है।
धर्म-ध्वजा के सानिध्य में जो भी रहता है वह साधु स्वरूप को प्राप्त कर साधुत्वता के साथ जीवनयापन करता है।
धर्म-ध्वजा, परस्पर प्रेम सद्भाव और शांति का संदेश देती है।
मुनिश्री ने कहा कि चारित्र ऐसा माध्यम है जो सिद्धत्व तक की यात्रा पूर्ण करने में मुख्य भूमिका अदा करता है।
जो बाहरी संसार के राग-द्वेष की क्रियाओं से दूर रहकर अंतरंग की क्रियाओं से उत्तम चारित्र का पालन करते हैं, वह श्रेष्ठ आचरण का संदेश देते हैं। सायंकालीन महाआरती के साथ गर्भ कल्याणक के पूर्व रूप की क्रियाऐं मंचित की गई।
रात्रि में शास्त्र सभा कुबेर द्वारा अयोध्या नगरी की रचना और माता की सेवा व स्वप्न दर्शन का मंचन किया गया। प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि बुधवार 19 अप्रैल को गर्भ कल्याणक का उत्तरार्द्ध रूप होगा और गर्भ कल्याणक की पूजा-अर्चना की जावेगी।